भागलपुर/नवगछिया, 15 अगस्त।
जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 79वीं वर्षगांठ मना रहा था, उसी दिन भागलपुर के वीर सपूत अंकित यादव तिरंगे में लिपटकर अपने पैतृक गांव चापर पहुंचे। चारों ओर गम और गर्व का माहौल था। अंतिम दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा और पूरा नवगछिया अनुमंडल “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा।

अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से पहले प्रभारी मंत्री संतोष सिंह ने बिहार सरकार की ओर से शहीद के परिजनों को 21 लाख रुपये का चेक सौंपा और परिवार को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। बाढ़ के बीच पार्थिव शरीर को पैतृक गांव की गलियों से घुमाया गया, जहां लोगों ने फूल बरसाकर अपने वीर बेटे को अंतिम विदाई दी।

सीमा पर अदम्य साहस

मूल रूप से चापर गांव के रहने वाले अंकित यादव, जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में मंगलवार रात घुसपैठ की कोशिश नाकाम करते हुए शहीद हो गए। पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के हमले को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया, जिससे घुसपैठिए पीछे हट गए। इसी दौरान हुई फायरिंग में अंकित यादव वीरगति को प्राप्त हुए।

गांव का पहला शहीद

अंकित यादव 2009 में बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। उनके तीनों भाई भी सेना में रह चुके हैं, लेकिन चापर गांव से यह पहली शहादत है। शहीद अपने पीछे पत्नी, दो छोटे बेटे, माता-पिता और पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

आखिरी मुलाकात

करीब एक महीने पहले वे छुट्टी पर घर आए थे। चार दिन पहले उन्होंने गांव के वार्ड सदस्य को फोन कर पत्नी का वोटर कार्ड बनवाने की बात कही थी। किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह बातचीत उनकी आखिरी होगी।

आज जब पूरा देश आज़ादी का पर्व मना रहा है, चापर गांव और भागलपुर अंकित यादव के अदम्य साहस, बलिदान और देशभक्ति को याद कर गर्व से भर उठा है।

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